Friday, May 29, 2015

शूटिंग मेरी जिंदगी का बेस्ट मोमेंट : मीनाक्षी दीक्षित


आज हिंदी फिल्मों से साउथ की फिल्मों से कई हीरोइनें आ रही हैं। लेकिन वो साउथ की नहीं होती। अपने बारे में बतायें ? 
लखनऊ से हूं, मुंबई में रहती हूं, साऊथ में काम करती हूं और अब 'पी से पीएम तक" से हिन्दी फिल्मों की शुरुआत कर रही हूं। पापा वकील और भाई-बहन इंजीनियर हैं। बचपन से ही गाने-डांस प्रतियोगिता में जीतती रही हूं। चुपके से डांस रियलटी शो 'नचले विथ सरोज खानÓ के लिए ऑडिशन दिया और सेलेक्ट होने के बाद थोड़ी जिद की। पापा अपोजिट थे, लेकिन मम्मी, पड़ोसियों और सरोज खान द्वारा मेरी तारीफ सुन वे भी राजी हो गये।

 सुना है आपके चयन से पहले कुंदन शाह करीब १०० लड़कियों के आडिशन ले चुके थे। कैसे मिली यह फिल्म ?
- ऑडिशन देकर ही मिली। पहले उनके कास्टिंग डायरेक्टर ने मेरा ऑडिशन लिया, फिर मुझे चार बार कुंदन सर के समक्ष आडिशन देना पड़ा। वो भारतीय लुक खोज रहे थे। माधुरी दीक्षित और श्री देवी की जोन का चेहरा चाहते थे। मैं तो हर टेक अलग-अलग देती हूं। ये बात उन्हें अच्छी लगी। बाद में उन्होंने कहा भी  ''मैं इसे ग्रूम करूंगा, तो इससे वो किरदार हासिल कर लूंगा, जिसकी मुझे अब तक तलाश थी।

हिंदी की पहली ही फिल्म में प्रोस्टीच्यूट का रोल स्वीकार करते अपनी इमेज को लेकर डर नहीं
लगा ?

-डर किस लिए ! वो एक किरदार है और मैं एक एक्ट्रेस। देखिये एक तो मैं आउट साइडर हूं। पारिवारिक पृष्ठभूमि के स्तर पर फिल्म इंडस्ट्री से मेरा वास्ता नहीं है। ऐसे में हमें फिल्में चुनने के मौके मिलने से रहे। मैं तो अपने को बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि कुंदन शाह जैसे बड़े निर्देशक के साथ काम मिला। वरना यह फिल्म तो किसी न्यू कमर लड़की को मिलने की बात सोची भी नहीं जा सकती। क्योंकि बाद में मुझे पता चला कि कुंदन सर बहुत पहले ही यह फिल्म माधुरी दीक्षित को लेकर बनाने की सोच रहे थे। इसी से इसके लेबल का अंदाजा लगाया जा सकता है।

'पी से पीएम तक" में आपका किरदार कैसा है ?
- मेरा किरदार लो लाइन वेश्या कस्तूरी का है। वह अपनी जीविका के लिए भागदौड़ करते जहां पहुंचती है, वहां चुनाव हो रहे हैं । कस्तूरी उसी चक्रव्यूह फंस जाती है और चार दिन में सीएम बन जाती है। उसके बाद वह पीएम के लिए ताकतवर उम्मीदवार भी बन जाती है। फिल्म में उसे पीएम बनते दिखाया नहीं गया है।

कस्तूरी को पर्दे पर साकार करने के लिए किस तरह से तैयारी की ?
- कुछ पुरानी स्क्रिप्ट पढ़ी। पहचान छुपाकर मुंबई के रेड लाइट एरिया में जाकर कुछ प्रोस्टीच्यूट से मिली। वो अपनी आप बीती बताते रो पड़ती। हर एक की दर्द भरी कहानी है। उनके घर देख आप रो पड़ेंगे। बड़ी अजीब जिंदगी है उनकी। कुछ तो इतनी खूबसूरत मिली कि क्या कहने। उफ्फ कैसी-कैसी परिस्थितियों का वो सामना कर रही हैं। फिर भी खुश हैं।

आप इमोशनल हो गयीं। आपकी आंखों में आंसू दिख रहे हैं। फिल्म इंडस्ट्री में किसी की अतिरिक्त भावुकता को कमजोरी समझ फायदा उठाने की भी खबरें आती हैं ?
-आप चाहे इसे मेरी कमजोरी कहें या ताकत, लेकिन मैं इसे अपनी ताकत मानती हूं। क्योंकि मुझे किसी भी तरह के इमोशन लाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। मुझे लगता है अगर आप इंसानियत को नजदीक से नहीं महसूस कर सकते, तो एक अच्छा कलाकार भी नहीं बन सकते। अपनी सच्चाई से क्या छुपना । जो हूं सो हूं।

कुंदन शाह के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा ?
-मेरे लिए बोर्डिंग स्कूल की टे्रनिंग का अहसास रहा । बस उन्होंने डंडे नहीं मारे। कुंदन सर अपने आप में एक इंस्टीच्यूट हैं। वो काफी जीनियस है। फिल्म सहित कई क्षेत्रों में उनकी गहरी समझ है। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान जो मैंने उनसे सीखा है, वो आगे मेरे पूरे करियर में काम आने वाला है।

क्या अब साउथ की फिल्मों को अलविदा कह आयी हैं ?
-नहीं नहीं ! अब भी वहां के तीन प्रोजेक्ट शूट कर रही हूं। मैं अपनी जमी जमाई दुकान क्यों छोड़ूंगी। साउथ की १० फिल्में करने के बाद वहां मेरा मार्केट है। लोग मेरा रिस्पेक्ट करते हैं। मैं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और साउथ में बैलेंस करके चलूंगी।

क्या शुरू से अभिनेत्री बनने का सपना था ?
-मैं बहुत साधारण लड़की हूं। बिल्कुल आपके घर की लड़कियों जैसी। स्क्रीन पर मेरा बिल्कुल अलग रूप होता है। देखिये मैं जब शूटिंग कर होती हूं, तो अपनी जिंदगी का बेस्ट मोमेंट जी रही होती है। इससे ज्यादा खुशी मुझे किसी काम से नहीं मिलती। इससे अपनी च्वॉइस का पता चल जाता है।  जब पांचवीं में थी तभी से डांस स्पर्धा में भाग लेती रही हूं। तब कहां पता था किधर जाना है। मैं माधुरी की फैन रही हूं। न जाने उनके कितने गानों पर डांस करके अवॉर्ड जीती हूं। भगवान से प्रार्थना है कि उनके जैसे कुछ गुण भी मुझे दे दे, तो भाग्य खुल जाये।                                                                                       -अश्वनी राय