Monday, January 5, 2015

नायिका प्रधान फिल्मों के नाम रहा साल 2014


पुरुष प्रधान फिल्मों की परंपरा वाले हिंदी सिनेमा के साल 2014 पर यदि नजर दौड़ायें तो महिलाओं के संदर्भ में एक रचनात्मक
प्रयोग दिखा। इस साल की कई फिल्मों में नायिका की भूमिका पेड़ों के इर्द-गिर्द नाचने, सौंदर्य प्रदर्शन और नायक को लुभाने से आगे बढ़कर गंभीर चरित्र चित्रण की रही। एक नजर उन फिल्मों पर-

डेढ़ इश्किया
२०१४ में नायिका प्रधान फिल्मों की शुरुआत हुई 'डेढ़ इश्किया' से। इसकी थीम थी 'अपने नजरिये से अपना मूल्यांकन।' इसी की छटपटाहट दिखी नृत्य और गायन की शौकीन बेगम पारो (माधुरी दीक्षित नेने)में। जुआ और शराब की लत वाले बेपरवाह पति, जो सारी सम्पत्ति गिरवी रख गया है के निधन के बाद अपनी आजादी की जद्दोजहद करती बेगम पारो के पूरे जीवन का विहंगावलोकन करने पर कई परतें खुलीं और हर परत में एक पीड़ा दिखी, जिसकी मौजूदगी हर युग में दिखती रही है। हुमा कुरैशी माधुरी की दोस्त की भूमिका में थी।
हाईवे
इसके बाद आई हृदयविदारक सच्चाई से रू-ब-रू कराती 'हाईवे'। इस फिल्म ने टुकड़ों में समाज के कई बेहद संवेदनशील व्यावहारिक पहलुओं को उजागर की। फिल्म का मुख्य तत्व अभिजात्य वर्ग के दिखावटी सभ्यता का खोखलापन था। फिल्म खासकर लड़कियों के पालन-पोषण और उनकी सुरक्षा पर प्रकाश डालते यौन शोषण के मामलों के सबसे बड़े सुरक्षा कवच 'किसी से कुछ ना कहना' को नंगा कर गयी। उन्मुक्तता और आक्रोश के मनोभावों को व्यक्त करते आलिया भट्ट सबका दिल जीत गईं।
हंसी तो फं सी
'हंसी तो फं सी'  देखते सामाजिक और पारिवारिक रुढिय़ों से खुले विचार के टकराव और उसकी परिणति के प्रति उत्सुकता रही । फिल्म की सबसे सफ ल कड़ी मीता के किरदार में परिणीति चोपड़ा थी, जिन्होंने रुढिय़ों के विरुद्ध केवल अपने दिल की सुनने वाली एक सिद्धांतवादी आधुनिक सोच की लड़की के किरदार को पर्दे पर जिवंत कर दिया।
गुलाब गैंग
'गुलाब गैंग'  हिंदी सिनेमा में चरित्र और विषयवस्तु के स्तर पर प्रयोगों के साथ आई, जिसमें मुख्य कलाकार और सहायक कलाकारों के रूप में महिलाओं की प्रमुखता थी। पहली बार दिखा कि नायक और खलनायक के रूप में दो महिलाएं क्रमश: माधुरी दीक्षित और जूही चावला थी। बुंदेलखंड की महिला अधिकारों की कार्यकर्ता संपत पाल के जीवन पर आधारित होने के विवादित मुद्दे और माधुरी एवं जूही के एक साथ काम करने को लेकर फिल्म काफी चर्चा में रही। यद्यपि फिल्म समीक्षकों द्वारा औसत रेटिंग के बाद भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो पाई।
क्वीन
कंगना रानौत अभिनीत 'क्वीन' में अपने मंगेतर के छोड़े जाने के बाद आत्म विश्वास से भरपूर हनीमून पर अकेले पेरिस जाने वाली युवती की कहानी ने आलोचकों और दर्शकों को चौंका दिया था।  'क्वीन' ने 21वीं सदी की युवतियों की भावनाओं को आवाज दी थी।  साथ ही इसका कारोबार भी काफ ी अच्छा रहा।
मर्दानी
 'मर्दानी' से रूपहले पर्दे पर रानी मुखर्जी की लम्बे समय के अंतराल के बाद धमाकेदार इंट्री हुई। फिल्म में रानी मुखर्जी बच्चों के अवैध व्यापार की अंधेरी दुनिया की कलई खोलती नजर आई। इसमें रानी सेक्स व्यापार के सरगनाओं का पर्दाफाश करती एक जाबांज पुलिसकर्मी की भूमिका में दिखी, जो महिलाओं को समाज में खुलकर और परेशानियों का डंटकर सामना करने के लिए प्रोत्साहित  करती है।
मैरीकॉम
बॉक्सिंग की पांच बार विश्वविजेता रही मैरी कॉम के जीवन पर आधारित फिल्म 'मैरीकॉम'
में  प्रियंका चोपड़ा के शानदार अभिनय ने लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया। प्रियंका ने एक बॉक्सर और मां के रूप में सशक्त अभिनय किया। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छी कमाई की।
बॉबी जासूस
एक मुस्लिम परिवार की लडक़ी बॉबी के सपनों की कहानी कहती 'बॉबी जासूस' भी नायिका के नाम रही।  यह फिल्म वर्तमान में मुस्लिम समाज में आए परिवत्र्तन को व्यक्त करती है।
हेट स्टोरी दो
सुरवीन चावला अभिनीत 'हेट स्टोरी दो' भी काफी सराही गई, जिससें किसी मजबूरी में नायक की चपेट  में आई सोनिका (सुरवीन चावला) नायक द्वारा रखैल बनाने के बाद अपने साथ हुई ज्यादतियों का बदला लेती है।
रिवाल्वर रानी
चंबल की पृष्ठभूमि पर बनी 'रिवाल्वर रानी' के रूप में कंगना का अनदेखा अंदाज उनके प्रशंसकों की संख्या में इजाफा कर गया। कंगना प्रतिशोध में विनाशक और प्यार में बेहद समर्पित नम दिल की नारी के रूप से रू-ब-रू कराने में सफल रहीं। 

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