पुरुष प्रधान समाज, ओढ़े हुए व्यक्तित्व और रूढि़वादिता पर चोट करती एक छोर से महिला सशक्तिकरण की फिल्म है 'दिल धड़कने दो'। चुटीले संवाद और कलाकारों का अभिनय इस फिल्म के मजबूत पक्ष हैं। जोया अख्तर के निर्देशन में बनी 'दिल धड़कने दो' कथानक के स्तर पर बांधती हैं, लेकिन प्रस्तुतिकरण में बिखराव के कारण लगभग १७० मिनट की फिल्म देखते कई बार ध्यान भटक जाता है। इंटरवल का इंतजार कुछ ज्यादा लगता है। फिल्म में एक अहम पात्र डॉग प्लूटो है, जिसे आवाज दी है आमिर खान ने। प्लूटो सभी पात्रों, स्थितियों और मानवीय विसंगतियों पर कमेंट कर उनका छिद्रांवेषण करता चलता है।
कहानी उच्च वर्ग के कमल मेहरा (अनिल कपूर) परिवार की है। बात-बात में अपनी मेहनत के बूते एक मुकाम बनाने की शेखी बघारने वाले कमल मेहरा की कंपनी आर्थिक संकट से गुजर रही है। कमल अपनी शादी की ३०वीं वर्षगांठ पर क्रुज पर एक शानदार पार्टी देने वाले हैं। पत्नी नीलम (शेफाली शाह)की सलाह पर पूर्व परिचित सफल उद्योगपति को पार्टी में निमंत्रित कर उसकी एकलौती बेटी से अपने बेटे कबीर (रनवीर सिंह) का विवाह कर कंपनी का संकट दूर करने की योजना बनाते हैं। लेकिन निठल्ला और प्लेन उड़ाने का शौकीन कबीर डांसर फराह अली (अनुष्का शर्मा)को दिल दे बैठा है। अपने बूते कारोबार की दुनिया में काफी नाम कमा चुकी कमल मेहरा की बेटी आयशा (प्रियंका चोपड़ा) अपने पति मानव (राहुल बोस) के साथ खुश नहीं है। वह उससे तलाक लेना चाहती है, लेकिन अपने पिता के शख्त रवैये से जाहिर नहीं कर पाती। वह अपने पिता द्वारा उपेक्षित अपनी मां से भी कहती है कि तूने पापा से डिवोर्स क्योंनहीं लिया। क्रुज पर कमल मेहरा के मैनेजर के बेटे सन्नी (फरहान अख्तर) की उपस्थिति हो चुकी है। आयशा और सन्नी$ कभी एक दूसरे को चाहते थे, लेकिन कमल ने उन्हें दूर कर $िदया था। अंतत: कबीर के अंदर का गुबार फूट पड़ता है और अब तक डरा सहमा सा लड़का पिता से उनकी फरेबी मर्यादा, उनके विवाहेत्तर संबंध और रूढि़वादिता के नीचे दब दम तोड़ते बच्चों के अरमानों पर बहस करता है। कमल मेहरा के हृदय परिवर्तित के साथ कहानी का सुखांत होता है। लेकिन क्लाइमेक्स में फिल्म का शिथिल हो जाना खटकता है।
फिल्म के गाने और उनके फिल्मांकन अच्छे लगते हैं। अनिल कपूर ने एक पारंपरिक पिता के किरदार में जमे हैं, शेफाली शाह ने भी उपेक्षित पत्नी के एकाकीपन से रूबरू कराया है। प्रियंका चोपड़ा मुरीद बना गईं, तो रनवीर का ऊर्जावान निठल्लापन भी भा गया। छोटे-छोटे रोल में आये फरहान अख्तर और अनुष्का शर्मा फिल्म को गति दे गये हैं।

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