फलों की डाली नदी की धारा और ये मस्त हवायें
कभी न रखना भेद किसी से हमको पाठ पढ़ायें
फूल ना सोचे सामने वाला है दुर्जन या साधू
फर्ज निभाता जाता अपनी लुटाके सारी खुशबू
काली घटायें उगता सूरज धाम -धाम को जाएं
कभी न रखना भेद किसी से हमको पाठ पढ़ायें
हर नाड़ी में लाल रक्त ही ना कोई दूजा रंग है
मानवता से बढ़कर जग में ना कोई पूजा ढंग है
जाति ना पूछें धर्म ना पूछें सबको गले लगायें
कभी न रखना भेद किसी से हमको पाठ पढ़ायें ।।
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