Thursday, January 8, 2015

खतरनाक रहा डरने-डराने का अनुभव : बिपाशा बसु

खतरनाक रहा डरने-डराने का अनुभव : बिपाशा बसु
आज के दौर में जहां विज्ञापन एंजेसियों द्वारा खूबसूरती के लिए गोरे रंग की अहमियत का लंबा-चौड़ा जाल बुना जा रहा है । गोरा बनाने का बाजार करोड़ों में दौड़ रहा है, वहीं सांवली सलोनी बिपासा बसु हिंदी सिनेमा में पदार्पण के 14 साल बाद भी अपनी फि टनेस और मादक अदा से सुंदरता के नये पैमाने गढ़ती ये साबित कर रही हैं कि खूबसूरती केवल गोरे रंग की मोहताज नहीं होती। कई हिट फिल्मों का हिस्सा रही बिपासा 'राज', 'राज 3', 'आत्मा' और 'क्रिचर 3डी' के बाद एक और डरावनी फिल्म 'अलोन' में आ रही हैं।

-आपको हॉरर क्वीन कहा जाने लगा है। क्या ये श्रृंखला और आगे बढ़ेगी ?
हॉरर की रेस में मैं अकेली ही तो हूं। ऐसे में हॉरर क्वीनका तमगा मिलना स्वाभाविक ही है। जब मैं 'क्रिचर' फिल्म कर रही थी, तो उस दौरान मैं सबको क्रिचर फिल्म बता रही थी। मैंने पूरी कोशिश की कि लोग उसे हॉरर फिल्म के बजाय एडवेंचर फिल्म समझें। जहां तक हॉरर फिल्मों की श्रंृखला का सवाल है, ये श्रृंखला अब टूट गयी है। मेरी अगली फिल्म फैमिली ड्रामा है।
-आप बिना फिल्मी बैक ग्राउंड से आकर यहां एक खास जगह बना चुकी हैं। आपके अनुभव से बिना फिल्मी परिवार से आ रही लड़कियों में वो कौन सी बात होनी चाहिए, जिससे कोई उनकी मजबूरी का फ ायदा न उठा पाये ?
देखिये इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि आपकी मजबूरी का फ ायदा कोई तभी उठा पाएगा, जब आप उसे उठाने देंगे। यह बात लड़की हो या लड़का सबको समझना बहुत जरूरी है। काफ ी पहले 16 साल की उम्र में ही मैं समझ गई थी कि हां बोलने से ज्यादा मुश्किल है ना कहना। लेकिन कहीं-कहीं ना कहना बिल्कुल जरूरी है। मैं 16 साल की उम्र से ना कहते आ रही हूं। अगर कोई भी लड़की यह नजरिया रखते हुए अपने आप पर विश्वास रखे तो यहां भी बिना धोखा खाये अपनी मंजिल पा सकती है।
-'अलोन' कैसी फिल्म है ?
 यह एक त्रिकोणीय प्रेम कहानी है। इसमें मैं डबल रोल में दो जुड़वा बहनें संजना और अंजना का रोल कर रही हूं, जो एक ही युवक कबीर से प्रेम रही हैं।  'अलोन' फि ल्म  हॉरर के साथ एक भावुक कहानी समेटे हुए है। इसमें एक प्रेम कहानी के माध्यम से रिश्तों के कई पहलुओं को दिखाने की कोशिश की गई। इसी लिए मैंने यह फिल्म की। अपने जीवन में कभी भी किसी के प्यार में रहा व्यक्ति फिल्म की गहराई को समझ लेगा। एक बात और बताना चाहूंगी कि 'अलोन' सिर्फ  गेटअप से ही नहीं बल्कि सिक्वेंस के स्तर पर भी वास्तविक रूप से डरावनी फिल्म है।
 - 'अलोन' में डरने-डराने का अनुभव कैसा रहा ? दूसरी बात कि आप बहुत डरपोक लड़की है, तो क्या डरावनी फिल्मों में इसी लिए आपको लिया जाता है कि पर्दे पर वास्तविकता दिखे ?
 आपने बिल्कुल सही कहा, मैं बहुत-बहुत डरपोक हूं। डरना मैं जानती हूं। पहले भी डरने का रोल कर चुकी हूं।  मेरे लिए डरने- डराने का अनुभव काफ ी खतरनाक रहा। शूटिंग के वक्त ऐसा भी हुआ कि डर कर मेरे चिल्लाने को पहले यूनिट के लोग अभिनय समझे, लेकिन मेरे लगातार रोते-चिल्लाने से उन्हें असलियत का पता चला और फिर सबने मेरे पास आकर मुझे संभाला। डराना मुझे आता नहीं और 'अलोन' में डराने का काम भी मैं ही कर रही हूं।  आप बताइये भूत कैसे डराता है, ये कैसे पता? मैं तो नहीं जानती और मेरा एक रोल डराने का है। ये काम मेरे लिए बहुत मुश्किल भरा रहा। इसलिए जैसा डायरेक्टर भूषण मुझे बताते थे मैं वैसा ही करती गई। आपके दूसरे सवाल पर यही कहना चाहूंगी कि हॉरर फिल्म का मतलब केवल ये नहीं होता कि आप हमेशा डर का ही भाव दिखायें। अन्य फिल्मों की तरह इसमें भी अलग-अलग खुशी और दु:ख के अहसास होते हैं। मेरे ख्याल से भावुक कलाकार बेहतर कलाकार होते हैं। अगर आप किसी भावना को महसूस नहीं कर सकते, तो आप पर्दे पर कैस ेदिखा पाएंगे। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप हर परिस्थिति को गहराई से महसूस करें।
-आज के गानों को लेकर कहा जा रहा है कि ये सुनने से ज्यादा देखने के लिए बनाये जा रहे हैं। 'अलोन' के गानों के बाद तो एक ठोस उदाहरण मिल जाएगा ?
 जब हमें कतरा गाना भेजा गया, तो हमने इसे कई बार सुना और काफ ी इंजॉय किया। उस समय इसका बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि यह गाना कैसे फि ल्माया जाएगा। आडियों सुनकर ही मुझे लगा कि इस गाने में 'जादू है नशा है' वाला असर है। दूसरे मैं अपने को लकी मानती हूं कि अब तक मेरे हिस्से कई सारे हिट गाने आये हैं।
—फिल्म इंडस्ट्री के कई कलाकारों के बारे में कहा जाता कि वह बढिय़ा हैं लेकिन उसके नखरे बहुत हैं या उसको लेना एक परेशानी मोलना है। इन कारणों से आप भी इत्तेफ ाक रखती हैं ?
मैं दोनों में से नहीं हूं। मैं एक पेशेवर कलाकार हूं। अगर आपने मुझसे जो देने का वादा किया है तो आपको वो मुझे देना पड़ेगा। नहीं देंगे, तो मैं गुस्सा हो जाऊंगी। मुझे बहुत जल्दी गुस्सा आता है। दूसरी बात कि अगर हम सेट पर काम करने जा रहे हैं, तो मैं चाहती हूं सब अपना काम करेंं। कामचोर, अनुशासनहीन और दूसरों के समय का सम्मान नहीं करने वाले लोग मुझे पसंद नहीं हैं।
-अपने 14 साल के करियर में कोई ऐसी फि ल्म जिसे करने का पछतावा हो ?
हां, 'हमशकल्स' करने का । इसका नाम भी नहीं लेना चाहती।
-तो क्या आपने 'हमशकल्स' के असफ ल होने का जश्न मनाया ?
मैं कभी भी किसी फि ल्म की असफ लता का जश्न नहीं मनाऊंगी। क्योंकि मुझे पता है कि एक फि ल्म के बनने में काफ ी पैसा खर्च होता है, बहुत से लोगों का परिश्रम लगा होता है। तो मैं कभी नहीं चाहूंगी कि कोई फि ल्म फ्लॉप हो। मेरा स्टैंड बस ये था कि मैं फिल्म को नीचा न करूं। 'हमशकल्स' के निर्माता वासु से मैंने कहा था कि मैं अपने रोल के बारे में नहीं जानती, फि ल्म के बारे में नहीं जानती। ऐसे में इसे प्रमोट करते मुझे असुविधा होगी। मैं  फि ल्म में केवल एक्टिंग नहीं करती हूं। बल्कि मैं फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन, प्रमोशन सहित हर सम्भव पक्ष में रूचि लेते हुए पूरा सहयोग करती हूं।

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