Sunday, March 29, 2015

घर बैठे इंतजार करने से अच्छा है काम करते हुए मंजिल की तरफ बढऩा: निकिता दत्ता




लाइफ ओके पर आ रहे शो 'ड्रीम गर्ल- एक लड़की दीवानी सी'  के साथ मिस इंडिया प्रतियोगिता की फाइनलिस्ट रही निकिता दत्ता ने फिल्म से शुरुआत के बाद सीरियल में
दस्तक दी हैं। शो की मुख्य किरदार जोधपुर की लड़की लक्ष्मी, जो काफी परेशानियों के बीच अभिनेत्री बनना चाहती है के सपनों और सपनों के लिए उसकी उड़ान की चाहत को पर्दे पर आयाम देती निकिता की कहानी उन्हीं की जुबानी-  
अभिनय की शुरुआत फिल्मों से कर टीवी शो में आगई। क्या फिल्मों से मोह भंग हो गया ?
- नहीं-नहीं , ऐसा बिलकुल नहीं है। मैं कभी प्लानिंग करके नहीं चलती कि मुझे ये करना है, वो करना है। मेरे पास जो काम आता है और वो मुझे पसंद भी आये तो मैं करती जाती हूं। पिछले साल फिल्म 'लेकर हम दीवाना दिल' की । इस साल जब 'ड्रीम गर्ल- एक लड़की दीवानी सी' का प्रस्ताव आया, तो मुझे इसका कांसेप्ट बहुत पसंद आया। खासकर जोधपुर की लड़की लक्ष्मी के किरदार के अनूठेपन ने मुझे यह रोल करने के लिए प्रेरित किया कि कैसे यह लड़की हर समस्या का समाधान रखती है। मैं पर्सनली सास-बहू सीरियल की फैन भी नहीं हूं।
सीरियल करने से पहले क्या डर नहीं लगा कि कहीं फिल्मों के दरवाजे बंद न हो जायें ?
-देखिये मैं ज्यादा दूर की सोचती नहीं। पहले भी बताया कि जो पसंद का आता जाता है, करती जाती हूं। मेरा लॉजिक है कि फिल्म मिलनी होगी तो मिल जाएगी। हाथ पर हाथ धरे घर बैठकर किसी चीज का इंतजार करें उससे ज्यादा अच्छा है कि हम काम करते हुए अपने मनचाहे काम का इंतजार करें।
आपने कहा जो आता है करती जाती हूं। इस सोच ने अब तक कैसे-कैसे काम करवा लिया ?
-मैं तो आईएएस बनना चाहती थी। मेरे पापा डिफेंस सर्विस में रहे हैं। मेरे भाई, मेरे चाचा भी इसी लाइन में कोई विंग कमांडर तो कोई ब्रिगेडियर है। १०साल से मुंबई में हूं। यहीं ग्रेजुएशन लास्ट इयर में थी जब मिस इंडिया प्रतियोगिता में भाग लिया और फाइनल तक पहुंची। इसी के बाद दिशा बदल गयी। ग्रेजुएशन के बाद जूम टीवी में एंकर का जॉब मिल गया, फिर स्टार स्पोट्र्स पर २०-२० वल्र्ड कप की एंकरिंग और  फिल्म 'लेकर हम दीवाना दिल' की । साथ ही कई सारे विज्ञापन भी किये।
'ड्रीम गर्ल' की खासियत क्या है ? क्या यह छोटे शहरों से यहां आने वाली लड़कियों के लिए गाइड लाइन होगी ?
— मैं जो रोल लक्ष्मी का कर रही हूं, यह लड़की बहुत सीधी सादी न होकर थोड़ी नॉटी है, लेकिन यह कोई गलत रास्ता नहीं अपनाती। यह छोटे शहर से मनोरंजन इंडस्ट्री में काम करने की इच्छा वाली लड़की की कहानी है। एक तरह से यह शो उन लड़कियों के लिए गाइड लाइन के रूप में एक नजरिया प्रस्तुत करेगा। जब हम जोधपुर में इसकी शूटिंग कर रहे थे, तब कई लड़कियों ने मुझसे कहा कि दीदी हमें भी आप जैसे बनना है। लेकिन ऐसी लड़कियों के साथ समस्या यह होती है कि उन्हें इस फिल्ड की सही जानकारी नहीं होती। दूसरे उन्हें पारिवारिक सपोर्ट नहीं मिलता। इस शो की सबसे बड़ी खासियत है कि लक्ष्मी अपने पापा को तैयार करके आती है, न कि बगावत करके। व्यक्तिगत तौर पर भी मैं आज अपने फैमिली सपोर्ट की वजह से ही यहां हूं।
सीरियल में काम का दबाव अधिक रहता है। कैसा लग रहा है ?
- व्यस्तता तो है ।  फिल्म या एड में काम आराम से होता है। लेकिन सीरियल में काफी जल्दबाजी रहती है। अभी मैं यूज टू होने की कोशिश कर रही हूं। आगे के दिनों को गिनती हूं कि इस दिन छुट्टी रहेगी और पूरी तरह आराम करूंगी।

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