उम्मीद की ज्योति जलाकर
अब गम का अँधेरा हर लेंगे
जो हुआ नहीं है दुनिया में
वो आज यहाँ हम कर देंगे
हिम्मत से भरी इन बाँहों से मुश्किल का बोझ हटा देंगे
नामुमकिन के शब्द को हम इस दुनिया से ही मिटा देंगे
आफत से नैन लड़ाकर
हर क्षण में मौज मनाकर
कुदरत का नज़ारा कर लेंगे
लाख बुरी हो यादें जहाँ की हमको नहीं सुनना गुनना
हमको तो बश इतना पता है मंजिल दर मंजिल चढ़ाना
नफ़रत की आग बुझाकर
उलफत की नाव चलाकर
खुशियों से समंदर भर देंगे
जो हुआ नहीं है दुनिया में
वो आज यहाँ हम कर देंगे
अश्वनी कुमार राय
उम्मीद पर ही तो सारी दुनिया टिकी है।
ReplyDeleteनफ़रत की आग बुझाकर
ReplyDeleteउलफत की नाव चलाकर
खुशियों से समंदर भर देंगे
जो हुआ नहीं है दुनिया में
वो आज यहाँ हम कर देंगे।
बहुत ही अच्छी कविता । आपके पोस्ट पर प्रथम बार आया हूं। मेरे पोस्ट "अतीत से वर्तमान तक का सफर" पर आपका हार्दिक अभिनंदन है।