Sunday, August 4, 2013

ओछी नहीं अच्छी फिल्म है 'बी.ए. पास'


 'बी.ए. पास' एक ऐसी कहानी है, जिसमें दो बहनों सहित प्रतिकूल परिस्थितियों के सैलाब में फंसा एक युवा जिस सहारे का आलंबन लेता है, वही आलंबन उसकी जिंदगी को सैलाब से निकाल भयंकर तूफान के हवाले कर देता है । अगर एक वाक्य में फिल्म का मूल्यांकन करें तो इसका प्लॉट 'बुरे काम का बुरा नतीजा' की अवधारणा है। 
निर्देशक अजय बहल की ' बी.ए. पास' सेंसर बोर्ड से वयस्कों के लिए निर्धारित है। ऐसी फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन को हमारे समाज में घटिया श्रेणी में रखा जाता है। किन्तु यह फिल्म एक साथ कई सामाजिक पहलुओं को बड़ी शिद्दत से उजागर करती है। अपने माता-पिता के निधन के बाद बी.ए. का छात्र मुकेश(शादाब कमल)दो बहनों के साथ अपनी बुआ के घर रहता है, जहां उसके हिस्से घरेलू काम और फुफेरे भाई के ताने ही आते हैं । आर्थिक तंगी के कारण दोनों बहनों को सरकारी आश्रम में भेज दिया जाता है। मुकेश की बुआ के घर किटी पार्टी में आयी सारिका (शिल्पा शुक्ला) मुकेश को बहाने से अपने घर बुलाती है और उसको अपने असंतुष्ट वैवाहिक संबंधों का विकल्प बना लेती है। मुकेश की जरूरत के पैमाने समझ सारिका मुकेश को अपनी सहेलियों के लिए उपलब्ध रहने का प्रस्ताव देती है, जिसे न चाहते हुए भी वह स्वीकार कर लेता है और धीरे-२ वह पुरुष वेश्या बन जाता है। आगे सारिका के पति द्वारा मुकेश को अपने पत्नी के साथ रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद उसकी जिंदगी में आये भूचाल से दर-दर भटकने की कहानी है। फिल्म का अंत बेहद असरकारक है,जिसमें वार्डन से परेशान आश्रम छोड़ भाई के यहां आती बहनों के फोन और पीछा करती पुलिस के साइरन के शोर के बीच मुकेश अपनी जिंदगी की आवाज को हमेशा के लिए शांत करने का रास्ता चुन लेता है। 
प्रारंभ से अंत तक फिल्म एक घटना से दूसरी घटना में एक चेन की तरह परस्पर जुड़ी हुई आगे बढ़ती है, जिससे दर्शक घटनाओं के साथ चुपचाप बहते चले जाते हैं। यहां तक कि कई कामुक दृश्य होने के बावजूद भी थियेटर में कभी सीटी बजने की आवाज नहीं आती। क्योंकि वे सीन मौजमस्ती से ज्यादा एक बेबस की मजबूरी लगते हैं। बिना गीत की इस फिल्म में शादाब ने हालात के मारों का सफलतापूर्वक प्रतिनिधित्व किया है, तो शिल्पा शुक्ला ने इतने बोल्ड पात्र में अपनी अदाओं से कई आयाम दिये हैं, जिसमें कभी बिंदासपन, तो कभी समझदारी का बढिय़ा सामंजस्य झलकता है।         
  

No comments:

Post a Comment