Monday, December 23, 2013

फिल्म समीक्षा 'धूम ३'

फिल्म समीक्षा 
'धूम ३'         स्टार : साढ़े चार
अश्वनी राय 
'धूम ३' का एक संवाद 'व्यक्ति कुछ को तोड़ता है, ताकि अपने अंदर कुछ टूटे हुए को जोड़ सके' पूरी फिल्म का सार इस एक वाक्य में व्यक्त कर देता है। फिल्म में सभी कलाकारों की इंट्री उनके चरित्रों के स्वभावानुसार लाजवाब तरीके से होती है। एक हृदयविदारक चीख के दृश्यांतर के साथ आमिर खान की इंट्री पर्दे के साथ-साथ दर्शकों के दिलो दिमाग में भी जगह बना लेती है। 
कहानी 'द वेस्टर्न बैंक ऑफ शिकागो' के  दुर्व्यवहार से आत्महत्या कर चुके इकबाल (जैकी श्राप)के बेटे साहिर (आमिर खान) द्वारा बैंक से बदला लेने की प्रक्रियाओं के साथ आगे बढ़ती है । साहिर बैंक लूटने के बाद वहां का सबकुछ अस्त-व्यस्त कर 'तेरी ऐसी की तैसी' लिख चला जाता है। लुटेरे के हिंदी में संदेश छोड़े जानेके कारण शिकागो पुलिस भारतीय पुलिस जय दीक्षित (अभिषेक बच्चन) और अली(आदित्य चोपड़ा)की सेवा लेती है। लेकिन प्रारंभिक असफलताओं से इन्हें इस मुहिम से बाहर कर दिया जाता है, जिसे जय अपनी इमेज के प्रति एक चुनौती के रूप में लेता है और अंतत: इन्हें सामने लाने में सफल होता हैं। 
इत्ती सी कहानी के दर्शकों को पौने तीन घंटे तक बांधे रखने में सफल होने के राज हैं बेहतरीन पटकथा, रोमांचकारी एक्शन, रुला देने वाले इमोशन, मनमोहक लोकेशन, नयनाभिरामी सिनेमेटोग्राफी और शानदार अभिनय एवं निर्देशन।इस क्रम में फिल्म कभी दिलचस्प, तो कभी गंभीर पड़ावों से गुजरते हुए स्वप्न लोक से सर्कस में पहुंचती है, जहां आलिया (कैटरीना कैफ) और साहिर की अद्वितीय प्रस्तुति का जादू हरएक को अपना मुरीद बना देता है। फिल्म के अच्छे गानों  में चार चांद लगाने का काम करता है आमिर और कैटरीना का डांस। संभव है कैटरीना को सबसे खूबसूरत लुक में दिखाये जाने वाली फिल्मों में 'धूम-३' का जिक्र किया जाये।
फिल्म का एक बेहद रोमांचक हिस्सा है रहस्यमयी बाइक, जो परिस्थिति के अनुसार अपना आकार और काम बदलती रहती है।  यदि कुछ खिंचे से लगते भागती बाइक के सीन को थोड़ा छोटा कर कैटरीना संग रोमांस के सीन डाले गये होते तो शायद कुछ और अच्छा लगता । संवाद दिल को छूने वाले हैं। प्रारंभिग अंश के संवाद 'हाथ नहीं छोडऩा, साथ नहीं छोडऩाÓको अंतिम भाग के दृश्य के साथ पुन: डालना काफी असरकारक दिखता है। साहिर का जय से कहना ' समर को बचा लो, वो काफी मासूम है' आंखों में आंसू ला देगा। कलाकारों में आमिर ने दोहरे चरित्र को जिस तरह से जिया है, उसे देखकर लगता है यह केवल आमिर ही ऐसा कर सकते हैं। अभिषेक बच्चन भी अपनी गंभीर चरित्र के साथ एकाकार दिखते है। फिल्म में अगर अली नहीं होता, तो शायद 'धूम-३' एक बेहद गंभीर फिल्म बनकर रह जाती । अली हास्य का पुट लाने में बिल्कुल सफल रहा है। कैटरीना को जिस काम के लिए लिया गया है, उसमें उन्होंने आशातीत दिया है। 

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