Thursday, December 19, 2013

फंस गए केजरीवाल

कांग्रेस-भाजपा सहित सभी दलों की मुश्किलें बढ़ाने वाले आप पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल खुद मुश्किल में नजर आ रहे है। दिल्ली में नायक बन कर उभरे केजरीवाल की हालत अब साप-छछूंदर वाली हो गई है। दिल्ली में जिस प्रकार से अप्रत्याशित परिणाम आए उसकी उम्मीद शायद केजरीवाल को भी नहीं थी। ये अलग बात है कि सर्वेक्षणों पर होने वाली बहस के दौरान योगेन्द्र यादव जरूर इस प्रकार के दावे करते नजर आते थे। खैर चुनाव परिणाम तो आ गए हैं और ऐसे आए कि दिल्ली में सरकार बनना ही असंभव सा लगने लगा है। भाजपा द्वारा खरीद-फरोख्त की उम्मीद लगाए केजरीवाल को निराशा हाथ लगी और भाजपा ने सरकार बनाने की जिम्मेदारी आप पार्टी के कंधे पर डाल दी। हमेशा मुखर विरोधी के रूप में दिखने वाली आप पार्टी बहुमत न होने का बहाना बना कर लागातार विपक्ष में बैठना चाहती थी। परन्तु उसकी योजना को मटियामेट करते हुए कांग्रेस ने आप पार्टी को सरकार बनाने हेतु बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा कर एक फिर से केजरीवाल को शूल भरे सिंहासन के पास पहुंचा दिया। पर केजरीवाल यहां भी कहां मानने वाले थे उन्होंने अपनी 18 शर्तों की एक लंबी लिस्ट भाजपा एवं कांग्रेस को भेज दिया। इससे भाजपा को कोई लेना-देना नहीं था अत: उन्होंने इसका कोई जबाब नहीं दिया और न ही निकट भविष्य में देने की संभावना है। परन्तु कांग्रेस के मंझे हुए राजनीतिक खिलाड.ी अपनी लुटिया डुबोने वाले केजरीवाल को यूं ही कहा छोड.ने वाले थे सो उन्होंने ने केजरीवाल के पत्र के जबाब में 16 शर्तें मानने एवं 2 दो शर्तों पर सहयोग करने का आश्वासन पत्र लिख भेजा। अब एक बार फिर गेंद केजरीवाल के पाले में है और अब देखना है कि केजरीवाल का अगल कदम क्या होता है? वैसे बहुमत न होने के बहाने के फेल हो जाने के बाद केजरीवाल अब जनता की राय लेने के बाद सरकार बनाने के विषय में राज्यपाल से मिलने की बात कह रहे है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि केजरीवाल ने अपने चुनावी एजेंडे में जनता से कई सारे वादे कर रखे हैं, जिन्हे पूरा कर पाना असंभव सा है, वहीं अल्प बहुमत की स्थिति में उन्हे और भी परेशानियों का सामना करना पड. सकता है। यह बात कांगे्रस भी बहुत अच्छी तरह से समझ रही है। यही कारण है कि कांग्रेस केजरीवाल को सत्तासीन करना चाह रही है। आप पार्टी के सरकार बनाने से कांग्रेस को एक साथ कई फायदें होंगे। अगर आप सरकार बनाती है, तो कांग्रेस के एजेंडे का सबसे प्रमुख बिंदु साम्प्रादायिक ताकतों (भाजपा) को सत्ता से दूर रखना अपने आप पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही वे दिल्लीवासियों को एक बार फिर चुनाव से बचाने का श्रेय लेने में सफल रहेंगे। फिलहाल तो कांग्रेस जिस तरह से केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाने के लिए आतुर नज़र आ रही है उससे तो सिर्फ एक बात दिख रही है कि चुनावी मैदान में केजरीवाल से मात खा चुकी कांग्रेस उसे राजनीतिक तरीके से पराजित करने के मूड में है। यह बात केजरीवाल को भी समझ में जरूर आ रही है। इसलिए केजरीवाल ने अपने बचाव के लिए आम जनता से सलाह लेने की आड. लेकर फिर अपने आप को सुरक्षित करने में लगे है और अगर इस बीच राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति शासन के लिए भेजा गया आग्रह सवीकार हो जाता है, तो केजरीवाल को नया बहाना मिल जाएगा कि हमें विचार-विमर्श का मौका ही नहीं मिला। परन्तु केजरीवाल यह आंकलन भी फेल होता दिख रहा है क्योकि गृहमंत्री सुशिल कुमार शिंदे ने यह साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने में कोई जल्दबाजी नहीं करेगी। अब देखना यह है कि केजरीवाल का अगला पैंतरा क्या होता है वे इस राजनीतिक चक्रव्यूह के अर्जुन साबित होते हैं या फिर अभिमन्यु?
अजीत राय
मो.-09323778226
17.12.2013

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